Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Jul 2021 · 3 min read

चलो, घर चलें

22• चलो, घर चलें

कश्मीर घाटी में पहाड़ी के नीचे छोटा-सा जंगल ।
हाफिज जंगल से निकल कर पगडंडी पर तेजी से अकेले भागा जा रहा था। मील भर चलने के बाद एक छोटी पहाड़ी से एक दूसरा लड़का उसे नीचे आता दिखा ।उसी का हम उम्र था,लगभग 16-17 का।उसके हाथ में भी उसीके जैसे एक मोटे कपड़े का थैला था,जिसमें वह रास्ते से जब-तब कुछ छोटे पत्थर रख लेता था ।हाफिज को समझते देर नहीं लगी कि वह भी पत्थरबाजी में जा रहा है। जैसे ही वह करीब आया, उसने पूछ ही लिया। उसने भी सिर हिला कर हामी भर दी कि हाँ, वह भी बड़ी सड़क की टेढ़ी पुलिया पर पत्थरबाजी के लिए जा रहा है ।उसे भी सौ रुपये और उसी के जैसे एक थैला मिला है ।उसने अपना नाम करीम बताया ।हाफिज को भी कोई इसी तरह सुबह आकर सौ का नोट पकड़ा कर वही जगह बता गया था कि वहाँ से कुछ अफसरों की गाड़ियाँ गुजरने वाली हैं, जो बाहर से घाटी में आए हैं और यहाँ वालों को परेशान करते हैं ।उसे चौराहे से सटे जंगल में खड़े होकर आती हुई हरी रंग की गाड़ियों और उसमें बैठे लोगों पर ताबड़तोड़ पत्थर फेंकने को कहा गया था ,और यह भी कि वहाँ बहुत लोग पत्थरबाजी में जाएंगें, सभी फेकेंगे और 15 मिनट बाद सभी पीछे की पहाड़ियों पर भाग कर बस्तियों में पहुंच जाएंगें ताकि पकड़े न जाएँ ।वहाँ अपने लोग होंगे जो सबको घरों में रख लेंगे ।वहाँ सब लट्ठों का काम करेंगे, मज़दूरी मिलेगी, फिर कुछ दिन बाद अपने घर आ जाएंगें।
अभी दो मील का रास्ता बचा था।हाफिज और करीम दोनों चलते हुए परस्पर बात करने लगे:—
हाफिज—मैं पहली बार पत्थरबाजी में जा रहा हूँ ।
करीम—- मैं भी ।
हाफिज—तुम्हें डर नहीं लगता?
करीम—-ऊपर पहाड़ी वाले ही भेजे हैं, वे रख लेंगे न अपने पास ।पैसे भी तो मिले हैं?
हाफिज—मैंने तो सुना है हरी गाड़ियों में आर्मी वाले दहशतगर्दों को पकड़ने निकलते हैं ।अगर हम भी कहीं दहशतगर्दी में पकड़ लिए गए तो?
करीम—-हमलोग जल्दी अपना काम करके उनके उतरते ही जंगल में पीछे भाग जाएंगे।किसी इंसान पर पत्थर नहीं फेकेंगे।
हाफिज —तुम्हें पता है मेरे पड़ोसी अब्दुल मियां का बेटा फिरोज बहुत बड़ा था।सुना उसे पत्थरबाजी में ही गोली लगी थी ।वह बचा नहीं ।अब उनके यहाँ सेब का बाग़ देखने वाला कोई नहीं रहा ।पत्थर वाले बाद में उन्हें कुछ और रूपये देने आए थे, उन्होंने इनकार कर दिया कि अब तुम्हारे रूपयों का क्या करेंगे ।मैं भी नहीं आ रहा था ।फिर माँ बीमार थी,सोचा उसके लिए रूपयों से कुछ फल और अंडे ले लूंगा ।माँ को बिना बताये आ गया ।
करीम—-अब तो मुझे भी डर लग रहा है ।
हाफिज—तो क्या वापस लौट चलें?
करीम—-और वे रूपये वापस मांगे तो?
हाफिज—तो दे देंगे ।कह देंगे जंगल में किसी जानवर की आवाज़ सुनाई दी थी।हमलोग डरकर वापस आ गए।
करीम—लेकिन पैसे तो आगे भी नहीं मिलेंगे।
हाफिज—अरे तो पत्थरबाजी कौन सी रोज़ होनी है ।कभी-कभी ही होती है ।हमलोग कोई रोजाना वाला काम खोजेंगे ।हमारे पास न खेत,न बाग,न कमाई, न पढ़ाई।कहीं भी रह लेंगे । जम्मू या दिल्ली चलेंगे।
करीम—-अच्छा तो दिल्ली चलो ।वहाँ हमारे मामू हैं ।उन्हें बड़ी सड़क का लंबा काम मिला है ।कहते हैं बहुत आदमी चाहिए ।अपने यहाँ रख भी लेंगे, हर हफ्ते पैसे भी।
हाफिज —तो फिर ठीक है ।अम्मी का बुखार उतर जाए तो अगले हफ्ते चलते हैं ।
करीम—-ठीक है, लेकिन देखो टेढ़ी पुलिया आने वाली है ।अभी बताओ चलना है क्या? वहां पहुंच कर मुमकिन है सब वापस आने न दें।रूपये वाले वहां होंगे ।
हाफिज— नहीं चलना है। चलो , घर चलें ।
करीम—- ठीक है, नहीं जाना है ।चलो, घर चलें ।
और दोनों खुदा का शुक्रिया अदा करते वापस अपने घरों को चल दिए ।
******************************************
–राजेंद्र प्रसाद गुप्ता,मौलिक/स्वरचित,01/07/2021•

Language: Hindi
2 Likes · 430 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Rajendra Gupta
View all
You may also like:
हवा तो थी इधर नहीं आई,
हवा तो थी इधर नहीं आई,
Manoj Mahato
सत्य की खोज, कविता
सत्य की खोज, कविता
Mohan Pandey
दीवारें ऊँचीं हुईं, आँगन पर वीरान ।
दीवारें ऊँचीं हुईं, आँगन पर वीरान ।
Arvind trivedi
दूसरों की आलोचना
दूसरों की आलोचना
Dr.Rashmi Mishra
ध्रुव तारा
ध्रुव तारा
Bodhisatva kastooriya
प्यार का पंचनामा
प्यार का पंचनामा
Dr Parveen Thakur
प्रकृति की ओर
प्रकृति की ओर
जगदीश लववंशी
*राम-राम कहकर ही पूछा, सदा परस्पर हाल (मुक्तक)*
*राम-राम कहकर ही पूछा, सदा परस्पर हाल (मुक्तक)*
Ravi Prakash
प्यार का मौसम
प्यार का मौसम
Shekhar Chandra Mitra
रूठी बीवी को मनाने चले हो
रूठी बीवी को मनाने चले हो
Prem Farrukhabadi
गजल सी रचना
गजल सी रचना
Kanchan Khanna
गुरु बिन गति मिलती नहीं
गुरु बिन गति मिलती नहीं
अभिनव अदम्य
आत्मीय मुलाकात -
आत्मीय मुलाकात -
Seema gupta,Alwar
*मतदान*
*मतदान*
Shashi kala vyas
होगा कौन वहाँ कल को
होगा कौन वहाँ कल को
gurudeenverma198
जली आग में होलिका ,बचे भक्त प्रहलाद ।
जली आग में होलिका ,बचे भक्त प्रहलाद ।
Rajesh Kumar Kaurav
असली खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है।
असली खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है।
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
■
*Author प्रणय प्रभात*
भेड़ चालों का रटन हुआ
भेड़ चालों का रटन हुआ
Vishnu Prasad 'panchotiya'
अदालत में क्रन्तिकारी मदनलाल धींगरा की सिंह-गर्जना
अदालत में क्रन्तिकारी मदनलाल धींगरा की सिंह-गर्जना
कवि रमेशराज
ज़िंदगी तज्रुबा वो देती है
ज़िंदगी तज्रुबा वो देती है
Dr fauzia Naseem shad
"लेकिन"
Dr. Kishan tandon kranti
आँखों की दुनिया
आँखों की दुनिया
Sidhartha Mishra
सारे जग को मानवता का पाठ पढ़ा कर चले गए...
सारे जग को मानवता का पाठ पढ़ा कर चले गए...
Sunil Suman
जिंदगी हवाई जहाज
जिंदगी हवाई जहाज
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
बेटा राजदुलारा होता है?
बेटा राजदुलारा होता है?
Rekha khichi
तुम गर मुझे चाहती
तुम गर मुझे चाहती
Lekh Raj Chauhan
296क़.*पूर्णिका*
296क़.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सत्य मिलता कहाँ है?
सत्य मिलता कहाँ है?
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
मन
मन
SATPAL CHAUHAN
Loading...