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30 Jul 2024 · 1 min read

चलो कुछ कहें

जाने कितनी बातें अनकही, चलो कुछ कहें,
रह गई हैं थी कुछ अनसुनी , चलो कुछ कहें l

चलते चलते छूटते गए जाने कितने ही अपने,
याद कर लें गुजरा हुआ वक्त , चलो कुछ कहें l

अधूरी छूटी बातें कितनी, कल पर बाकी रहीं,
आज है मौका , बैठ लेते हैं, चलो कुछ कहें l

कौन रहना है यहां पर, और कितने दिन बचे,
अब तो कुछ दिल हल्का करें, चलो कुछ कहें I

डा राजीव “सागरी”

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