चलो कहानी शुरू करें कब
चलो कहानी शुरू करें अब
अपनी और तुम्हारी भाई
आज जो मैंने कलम उठाई
याद तुम्हारी दिन भर आई
यूं तो हंसना फितरत मेरी
आंख मगर अक्सर भर आई
बिना तुम्हारे इस दीवाली
घर हर कोने नमी समाई
सोचा दस्तक तुम दे दोगे
मगर तनिक ना आहट आई
आज जो मैंने क़लम उठाई
याद तुम्हारी दिन भर आई
यूं तो मैं चल रहा सफर में
लेकिन जैसे ठोकर खाई
दिल कहता बस और नहीं अब
आवाज तुम्हारी उस पल आई
चलो कहानी ….
अपनी और तुम्हारी भाई