चलो उस पार चलते हैं….
चलो उस पार चलते हैं, जहाँ गम का निशां ना हो
जहाँ कल-कल नदी बहती, हवा का खूब आना हो
न हों छल-छद्म के कंटक, सभी सुख से रहें मिलकर
बरसता हो जहाँ सावन, खुशी का ना ठिकाना हो
– © सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
चलो उस पार चलते हैं, जहाँ गम का निशां ना हो
जहाँ कल-कल नदी बहती, हवा का खूब आना हो
न हों छल-छद्म के कंटक, सभी सुख से रहें मिलकर
बरसता हो जहाँ सावन, खुशी का ना ठिकाना हो
– © सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद