चलो आज फिर खुद से कुछ बाते करते है
चलो आज फिर
खुद से कुछ बाते करते है
वो डोर जो टूट गयी है
आज फिर से जोड़ते है
खुद को भुला कर
मेहनत की है
खुद के सपनों को
जीने के चाहत मे
पर पता नहीं कब
खुद को भूल
जीने लगा दूसरों के लिए
आज तनहाई मे
फिर से खुद की याद आयी है
तो चलो
आज फिर से खुद से
कुछ बाते करते है
वो डोर जो टूट गयी है
आज फिर से जोड़ते है
खुद से खुद की दूरी
थोड़ी कम करते
उन सपनों पे
फिर से चर्चा करते है
आज फिर खुद से
कुछ बाते करते है
वो डोर जो टूट गयी थी
आज फिर से जोड़ते है