“चलो आज खुद से मुलाकात करते हैं”
चलो आज खुद से मुलाकात करते हैं,
हुए दिन बहुत खुद से बात करते हैं।
ये जिस्म को ओढ़े मेरा मन,
दबा है बहुत दिनो से,
चलो आज उसे आज़ाद करते हैं।
चलो आज खुद से मुलाकात करते है।
वो पहली वाली मुलाकात,
खुशियों से भरी बात,
अंतर्मन को भिगोने वाली बरसात,
चलो आज फिर से ढूंढ लाते है।
चलो आज खुद से मुलाकात करते हैं।
वो झूठ बोलती मेरी प्रतिछाया
धुमिल सी होती मेरी काया
धूल भरा आइना है भरमाया
चलो वो आइना ही बदल लेते हैं।
चलो आज खुद से मुलाकात करते हैं।
हुए दिन बहुत खुद से बात करते हैं।
चलो आज खुद से मुलाकात करते हैं।
© डा० निधि श्रीवास्तव “सरोद”