*चले राम को वन से लाने, भरत चरण-अनुरागी (गीत)*
चले राम को वन से लाने, भरत चरण-अनुरागी (गीत)
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चले राम को वन से लाने, भरत चरण-अनुरागी
1
तड़प उठे थे जब यह जाना, दो वरदान विषैले
सरयू नदी अयोध्या का जल, करने वाले मैले
कैकेई के षड्यंत्रों के, कहॉं हुए थे भागी
2
भरत महल में बिना राम के, टिकने तनिक न पाए
सामग्री तैयार तिलक की, लेकर वन में आए
कहा राम से पद पर बैठें, छोड़ें छवि वैरागी
3
चरण-पादुका सिर पर धरकर, कहा यही अब शासक
सत्ता का तृण मात्र लोभ भी, समझा आत्म-विनाशक
कुश की शैया पर सोते थे, भरत सर्वसुख-त्यागी
चले राम को वन से लाने, भरत चरण-अनुरागी
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451