चले जा रहे है
चले जा रहे है,
बिना सोचे हम ।
देख दुनिया को,
बढ़े जा रहे है हम ।।
हर क्षण अनमोल,
लुटा रहे हम ।
भूल मुस्कान को,
जी रहे है हम ।।
घर परिवार भुला,
औपचारिकता निभा रहे हम ।
एक होता नहीं,
अनेक काम कर रहे है हम ।।
पड़ोसी की खुशी दिखती नहीं,
झूठी शान में अकड़ रहे हम ।
भुला अपनी संस्कृति,
पश्चिम की नकल कर रहे है हम ।।
नम्र बनते नही,
बात बात पर उग्र हो रहे हम ।
सम्मान करते नही,
अपना सम्मान कराना चाहते है हम ।।
स्वार्थ को अर्थ मान,
परमार्थ को भूल रहे हम ।
परहित भावना नहीं,
अहम में मरे जा रहे है हम ।।
सोच को खत्म कर,
भेड़ चाल चल रहे हम ।
अपनो के दुःख से नहीं,
दूसरे की खुशी से दुःखी है हम ।।
मुट्ठी भर राख की काया,
पल भर का चैन, देते नही हम ।
जीते ऐसे जैसे हजारों साल रहेंगे,
मरने को स्वीकारते नही है हम ।।
।।जेपीएल।।