चले जा रहे हैं जो कल थे सितारे
चले जा रहे हैं जो कल थे सितारे
वो रोशन थे करते फ़िज़ा ज़िन्दगी की।
लुटाते थे मुस्कान हँसाते थे सबको
वो हसरत से भरते खला ज़िन्दगी की।
दिखाते थे दुनिया का रंगीन सपना
धुनों से सजाते अमाँ ज़िन्दगी की।
जलाते थे बुझते चराग़ों को हर पल
बनाते थे शब को पनाह ज़िन्दगी की।
भरते थे दामन उमंगों से सबका
वो लाते थे सुंदर सदा ज़िन्दगी की।
खुदा उनको ज़न्नत नज़र करना अपनी
ज़न्नत भी हो खैरेख्वाह ज़िन्दगी की।
विपिन