चले गये अंग्रेज तो, . छोड गए औलाद
हुई कलंकित उस समय ,…लोकतांत्रिक शान !
दिया सियासत मंद ने भी,जब जब तुच्छ बयान !!
चले गये अंग्रेज तो, . छोड गए औलाद !
लूट रहे हैं देश वे, सब बनकर सय्याद !!
रिश्ते वो जो वाकई,………होते हैं दमदार !
अपनेपन का कब करें,चिल्लाकर इजहार !!
सम्बन्धों में हो नहीं,…. .हरगिज वाद-विवाद !
अपशब्दों से हो सदा, कडुआ मुँह का स्वाद !!
रमेश शर्मा