चली जय श्री राम की वात
चली जय श्री राम की वात
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वर्षों से चल रही थी बात
कब होगी मन्दिर शुरुआत
विवादों से घिरी धर्म जमात
अयोध्या में श्रीराम बरसात
राम लला जी थे वनवास में
जुटे थे दानवों के विनाश में
व्यसनों के घने महाजाल से
हक में हुए अब सारे हालात
सदियों की बुझ गई प्यास
पूर्ण हुई है रामजन अरदास
पीढ़ियों से बुने थे जो सपने
अकस्मात आ गए साक्षात
अयोध्या नगरी हुई जगमग
धरे हैं पुनःसियापति ने पग
मनोहर गीत गाता है जग
सार्थक हो गए हैं जज्बात
ऐतिहासिक दिवस आया
दिखाई प्रभु राम ने माया
जयजयकार के गूंजें नारे
हुई हो जैसे यह नवप्रभात
देर से सही दुरस्त है आया
खोया राम राज्य हो पाया
देवों ने है मंगल गीत गाया
मिल गई पौराणिक बिसात
भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण
हिंदुस्तान की नई पहचान
श्रीराम मन्दिर भूमि पूजन
ईश्वरीय भारतीय है सौगात
सुखविन्द्र राम नाम ध्यानी
अज्ञानी से बन गया ज्ञानी
पूर्ण राम मन्दिर के ख्वाब
चली जय श्री राम की वात
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)