चली चुनावी बयार चली
आरोपों के धूल उड़ाती चली चुनावी बयार चली
तर्कहीन बातों में उलझी आपस में तकरार चली
गठबंधन से आस लगाकर जाति प्रवक्ता प्रखर हुए
चार साल से शांत विपक्षी अब जाकर के मुखर हुए
जनहित में क्या किया तुम्हें भी अब हिसाब देना होगा
जनता की है लगी अदालत अब जवाब देना होगा
संसद में कितना बोले क्या झूठ है क्या सच्चाई है
कितने आंदोलन में कूदे कितनी लाठी खाई है
डूब रहे कितने मज़लूमों को अब तक है हाथ दिया
जनता जब उतरी सड़कों पर तुमने कितना साथ दिया
चार साल तक ओढ़ रजाई बस केवल आराम किया
राजनीति के पेशे को तुम लोगों ने बदनाम किया
जातिवाद का जाल फेक जनता को फँसाने निकल पड़े
खुद जो भ्रम में पड़े हुए हैं वो भरमाने निकल पड़े
बस है नजर तुम्हारी उसके कोट पे, उसके जूते पर
आतंकवाद की कमर तोड़ दी जिसने अपने बूते पर
कंगाल हो गया उधर पाक जब उसने बंदी नोट किया
कितने निर्दोष मरे फिर उसने कितना बम बिस्फोट किया
दूर विदेशों में जाकर अपना परचम लहराया है
यू एन ओ के चुनावों में भारत का ध्वज फहराया है
किया सर्जिकल स्ट्राइक आतंक के कद को घटा दिया
अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से चीन को पीछे हटा दिया
छत गरीब को देकर बच्चों को विद्यालय ले आया
भारत स्वच्छ बनाने को घर-घर शौचालय ले आया
दिया गरीबों को आरक्षण काम ये उसने खास किया
जाति धर्म की हटा के बेड़ी सबका साथ विकास किया
भेदभाव के बिना चलूँगा ये संकल्प उठाया था
जब संसद की सीढ़ी पर मोदी ने शीश झुकाया था
स्वागत फिर भी करूँ तुम्हारा सत्ता में भी आओ तुम
पर भविष्य की कोई योजना जनता को बतलाओ तुम
कंगाली के आलम में खाली मय का पैमाना है
सब में ये खलबली मची है चौकीदार हटाना है
दूर खड़ी है सत्ता तुमसे लौट के तुम घर जाओगे
जो मोदी न कर पायेगा वो तुम क्या कर पाओगे