चली गयी
दर्द के सागर में तू मुझको छोड़ गयी,
बेरहमी बनके तू दिल मेरा तोड़ गयी,
तेरे हंसने से हम भी हंस लेते थे सनम,
सच कहता हूँ सनम तू तन्हा कर गयी,
देखे थे सपने जो मिलके अधूरे रह गये,
सोचा न था जो मैने वो तूने कर गयी,
कितनी उम्मीदे हमने तुमसे लगाए थे,
मेरे उन उम्मीदों पे तू पानी फेर गयी,
जिन्दगी तेरे संग जीने का अरमान था,
टूट गये अरमान वो जब तू चली गयी,
पूछते है रोज सनम बहती हवाओं से,
कैसी है मेरी दिलरुबा जो छोड़ गयी,
जब भी सावन आये जाता हूँ बागों में,
पेड़ लताएं पूछे सनम क्यो दूर गयी,
दिल तोड़ने का अब दस्तूर बन गया,
तोड़ के दिल तूने पत्थर बना गयी,
पत्थर दिल मे तेरी तस्वीर बना ली है,
अब न लगेगा दिल बेदर्दी बना गयी,