चली गई इंसानियत
खबरें अब अखबार की,लगती है नासूर !
चली गई इंसानियत, छोड शहर को दूर !!
काँटे जीवन मे हमे,करना पडे कबूल !
सींचा दोनो हाथ से,हमने अगर बबूल!!
मारें घर मे नक्सली,..सीमा पर शैतान !
इतनी सस्ती हो गई,वीरों की अब जान !!
समझें भाषा तोप की,वो जो सदा रमेश !
उनसे आना चाहिए,..तोपों से ही पेश! !
रमेश शर्मा.