Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 May 2024 · 2 min read

चलना है मगर, संभलकर…!

” चल उठ जीवन पथ के राही…
कुछ कदम बढ़ा,
भोर हो चला है कर ले कुछ हलचल…!
उदित किरण की लाली (रवि किरण ) संग…
बहती शीतल बयार संग…!
आ कर कुछ नई पहल…
ओ राही चल , मगर आहिस्ता आहिस्ता चल…!
राहों पर कोई भटकाव न हो…
चल कुछ थम के चल…!
राहों पर अपनी नज़रें टीका के चल…!!
मोड़ हो राहों में….
कोई बात नहीं….!
तंग हो कोई ग़म न कर…
लेकिन..
कदम अपनी फिसले न…
ऐसी कोई कोशिश न कर…! ”

” राहें दुर्गम हों, पथ चाहे अगम हों…
उसे सुगम करता चल…!
राहों में कुछ मुसिबतें आयेंगे…
तूझे कुछ भरमायेंगें…!
उसे सरलता से…
हल करता चल…!
आज और कल की बात न कर…
हो सके तो अभी चलने की…
कुछ कर पहल…!
चाल में तेरी, मौजों की रवानी हो…!
बढ़ते कदमों की पांवों में…
हौसले की कोई निशानी हो…!
रमता चल या फिर…
मचलता चल, ओ राही….!
मगर तू थोड़ा संयम से…
संभल के चलता चल…!

” पवन की चाल में…
कहीं बहक न जाना…!
फूलों की महक में…
कहीं बिखर न जाना…!
घटाओं की बारिश में…
भीग जाना तुम,
मगर राहों पर…
फिसलने की कोशिश न करना…!
हो सके राह में कहीं…
दुर्गम पहाड़ी मिलेंगे…!
अदम्य हौसला साथ ले कर चल…
टेढ़े-मेढ़े या ऊंचे-नीचे,
कुछ ढाल मिलेंगे…!
शक्त पांवों के निशान ,
तू गढ़ता चल…
फूलों की पथ में,
अनचाहे कांटों के कुछ जाल भी मिलेंगे…
मगर तू ज़रा सतर्क हो कर चल…!
तुम्हारे कदमों के ये चाप…
है तुम्हारी आकृति के अद्वितीय छाप…!
होगा ये, एक अनमोल निशान…
तेरे कोई अनुगामी के लिए…!
तू चल अथक…
तू बन प्रतीक एक हम राही के लिए…!
आज और कल की…
तू बात न कर…
हो सके तो अभी चल…!
एक-एक कदम चल, कुछ थम के चल…
मगर तू संभल कर चल…!
एक-एक कदम चल, कुछ थम के चल…
मगर तू ज़रा संभल कर चल…! ”

***************∆∆∆*************

Language: Hindi
100 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from VEDANTA PATEL
View all
You may also like:
"इनाम"
Dr. Kishan tandon kranti
बुरा समय
बुरा समय
Dr fauzia Naseem shad
..
..
*प्रणय*
मुहब्बत की दुकान
मुहब्बत की दुकान
Shekhar Chandra Mitra
I'm always with you
I'm always with you
VINOD CHAUHAN
वो अब नहीं आयेगा...
वो अब नहीं आयेगा...
मनोज कर्ण
रमेशराज की विरोधरस की मुक्तछंद कविताएँ—2.
रमेशराज की विरोधरस की मुक्तछंद कविताएँ—2.
कवि रमेशराज
कविता तुम से
कविता तुम से
Awadhesh Singh
वीर जवान --
वीर जवान --
Seema Garg
किसी न किसी बहाने बस याद आया करती थी,
किसी न किसी बहाने बस याद आया करती थी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
3243.*पूर्णिका*
3243.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
है हार तुम्ही से जीत मेरी,
है हार तुम्ही से जीत मेरी,
कृष्णकांत गुर्जर
दरिया की तह में ठिकाना चाहती है - संदीप ठाकुर
दरिया की तह में ठिकाना चाहती है - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
दिल
दिल
इंजी. संजय श्रीवास्तव
*अमर तिरंगा रहे हमारा, भारत की जयकार हो (गीत)*
*अमर तिरंगा रहे हमारा, भारत की जयकार हो (गीत)*
Ravi Prakash
भारत का सिपाही
भारत का सिपाही
आनन्द मिश्र
पुनर्जन्म का साथ
पुनर्जन्म का साथ
Seema gupta,Alwar
आँखे नम हो जाती माँ,
आँखे नम हो जाती माँ,
Sushil Pandey
*मनकहताआगेचल*
*मनकहताआगेचल*
Dr. Priya Gupta
शीर्षक:-कृपालु सदा पुरुषोत्तम राम।
शीर्षक:-कृपालु सदा पुरुषोत्तम राम।
Pratibha Pandey
मै उन्हें  क्यूं ना चाहूँ, जिन्होंने मुझे ऊँगली पकड़ कर चलना
मै उन्हें क्यूं ना चाहूँ, जिन्होंने मुझे ऊँगली पकड़ कर चलना
Neelofar Khan
बचपन में मेरे दोस्तों के पास घड़ी नहीं थी,पर समय सबके पास था
बचपन में मेरे दोस्तों के पास घड़ी नहीं थी,पर समय सबके पास था
Ranjeet kumar patre
✍️ कर्म लेखनी ✍️
✍️ कर्म लेखनी ✍️
राधेश्याम "रागी"
शेर बेशक़ सुना रही हूँ मैं
शेर बेशक़ सुना रही हूँ मैं
Shweta Soni
एक नम्बर सबके फोन में ऐसा होता है
एक नम्बर सबके फोन में ऐसा होता है
Rekha khichi
14) “जीवन में योग”
14) “जीवन में योग”
Sapna Arora
जीवन एक और रिश्ते अनेक क्यों ना रिश्तों को स्नेह और सम्मान क
जीवन एक और रिश्ते अनेक क्यों ना रिश्तों को स्नेह और सम्मान क
Lokesh Sharma
जग की सारी बन्दिशें, चलो तोड़ दें आज ।
जग की सारी बन्दिशें, चलो तोड़ दें आज ।
sushil sarna
कभी जब आपका दीदार होगा
कभी जब आपका दीदार होगा
सत्य कुमार प्रेमी
खुद का नुकसान कर लिया मैने।।
खुद का नुकसान कर लिया मैने।।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
Loading...