” चलना है उस पार चलो ” !!
इतनी कातर न बनो प्रिये ,
कुछ तो अंगीकार करो !
यदि चलना है इस पार चलो !
यदि चलना है उस पार चलो !!
तुम बनी रहो निर्भीक ,निडर ,
है नहीं प्यार की राह सरल!
यहां पग पग पर कांटे , कंटक ,
पीना पड़ता है कभी गरल !
योँ छुइ मुइ न बनो प्रिये ,
थोड़ा तो प्रतिकार करो !
जब बनना है मधुधार बनो ,
जब बनना है अंगार बनो !!
बन लता विटप संग खड़ी रहो ,
यह मुझको अंगीकार नहीं !
तुम संघर्षों से घबराना ना ,
हां मुझे हार स्वीकार नहीं !
इतनी आकुल ना बनो प्रिये ,
जो मिला आचमन आज करो !
कल की कल हम सोचेगें ,
जो मिला आज उपहार गहो !!
इक दूजे के सम्बल हैं हम ,
खड़े रहेगें , अडिग , अचल !
तुम कभी घटा बन छा जाना ,
लहरा देना अपना आँचल !
यदि गमकना है गमको ,
कुछ ऐसा भी व्यवहार करो !
यह सुरभित हो जीवन अपना ,
अब इस पर भी संज्ञान धरो !!
बृज व्यास