* चलते रहो *
** मुक्तक **
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कार्य सब होते समय पर कष्ट कुछ सहते रहो।
जल्दबाजी छोड़ कर कुछ धैर्य भी धरते रहो।
साथ देता है समय हालात जब अनुकूल हो।
सामने जब है विजय तुम मत रुको चलते रहो।
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शांत मन से बैठकर हम प्यार की बातें करें।
और मन से पूर्ण अब अपनी मुलाकातें करें।
खिल रहा मौसम महकता देखिए चारों तरफ।
क्यों न खुशियों से भरी हम चांदनी रातें करें।
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नित्य हम दीपक जलाएं तम हटाने के लिए।
पास आएं दो कदम दूरी मिटाने के लिए।
हम मधुर बोलें सभी से भावना निस्वार्थ हो।
प्यार हो मन में भरा सब पर लुटाने के लिए।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य