Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Oct 2022 · 1 min read

चलते-चलते प्यादा….

चलते-चलते प्यादा वजीर बन गया।
हरएक की नज़र में नजीर बन गया।

किस्मत पर अपनी क्यों न करे गुमां,
वह जो रातों- रात अमीर बन गया।

कभी-कभी यूँ भी सँवरता है नसीब,
फट के भी दूध जैसे पनीर बन गया।

बन ता अभ्यास से अनगढ़ भी ज्ञानी,
लिखते-लिखते जैसे मीर बन गया।

भाग्य भी किसी का लेता यूँ पलटियाँ,
राजकुँवर भी हाय ! फकीर बन गया।

हर कमी का अपनी दे दोष और को,
इन्सां का तो बस ये ज़मीर बन गया।

खपा न जान ‘सीमा’ आस में सुखों की,
ग़म सदा को तेरी तकदीर बन गया।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद (उ.प्र.)
“मनके मेरे मन के” से

3 Likes · 2 Comments · 237 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ.सीमा अग्रवाल
View all
You may also like:
""बहुत दिनों से दूर थे तुमसे _
Rajesh vyas
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
प्रेम भरी नफरत
प्रेम भरी नफरत
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
#शुभ_रात्रि
#शुभ_रात्रि
*प्रणय प्रभात*
"परचम"
Dr. Kishan tandon kranti
विरक्ति
विरक्ति
swati katiyar
व्हाट्सएप युग का प्रेम
व्हाट्सएप युग का प्रेम
Shaily
कभी भी व्यस्तता कहकर ,
कभी भी व्यस्तता कहकर ,
DrLakshman Jha Parimal
हिंदी - दिवस
हिंदी - दिवस
Ramswaroop Dinkar
सब छोड़ कर चले गए हमें दरकिनार कर के यहां
सब छोड़ कर चले गए हमें दरकिनार कर के यहां
VINOD CHAUHAN
23/13.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
23/13.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
गज़ले
गज़ले
Dr fauzia Naseem shad
मेहनती को, नाराज नही होने दूंगा।
मेहनती को, नाराज नही होने दूंगा।
पंकज कुमार कर्ण
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कुंडलिया - होली
कुंडलिया - होली
sushil sarna
माटी कहे पुकार
माटी कहे पुकार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
सीख गांव की
सीख गांव की
Mangilal 713
ଆପଣଙ୍କର ଅଛି।।।
ଆପଣଙ୍କର ଅଛି।।।
Otteri Selvakumar
तब तो मेरा जीवनसाथी हो सकती हो तुम
तब तो मेरा जीवनसाथी हो सकती हो तुम
gurudeenverma198
*लम्हा  प्यारा सा पल में  गुजर जाएगा*
*लम्हा प्यारा सा पल में गुजर जाएगा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*सजता श्रीहरि का मुकुट ,वह गुलमोहर फूल (कुंडलिया)*
*सजता श्रीहरि का मुकुट ,वह गुलमोहर फूल (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
पर्वत दे जाते हैं
पर्वत दे जाते हैं
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
पर्यावरण
पर्यावरण
Neeraj Mishra " नीर "
* जगेगा नहीं *
* जगेगा नहीं *
surenderpal vaidya
एक दूसरे से कुछ न लिया जाए तो कैसा
एक दूसरे से कुछ न लिया जाए तो कैसा
Shweta Soni
तुम और मैं
तुम और मैं
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
ग़ज़ल/नज़्म - दिल में ये हलचलें और है शोर कैसा
ग़ज़ल/नज़्म - दिल में ये हलचलें और है शोर कैसा
अनिल कुमार
तू है तो फिर क्या कमी है
तू है तो फिर क्या कमी है
Surinder blackpen
अपनी चाह में सब जन ने
अपनी चाह में सब जन ने
Buddha Prakash
Loading...