*चलता रहता है समय, ढलते दृश्य तमाम (कुंडलिया)*
चलता रहता है समय, ढलते दृश्य तमाम (कुंडलिया)
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चलता रहता है समय, ढलते दृश्य तमाम
रुकते सूरज-चॉंद कब, चलना इनका काम
चलना इनका काम, रात फिर दिन है आता
लेकर जन्म मनुष्य, एक दिन जग से जाता
कहते रवि कविराय, हाथ हर प्राणी मलता
एक दिवस आ काल, कर रहा सबको चलता
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451