चलता चल…. !!
अब रोक नहीं कोई टोक नहीं, बात नहीं अब मज़ाक नहीं !
अब रातों को आराम नहीं, चाहे जीवन एक संग्राम सही!!
तू चल पड़ा है उस डगर, मिलेगा तुझको एक सफर !
तू चलता चल एक मन….., है जीतना ये तेरा प्रण !
मुश्किलों की बात क्या…..अब उनकी भी औकात क्या !
करता चल बस ! तू प्रयत्न…. पूरे होंगे सारे स्वप्न !
आग न मिशाल बन….जिंदगी में बेमिशाल बन !
शौक से तू बढ़ता चल…रात दिन तू मेहनत कर !
अभी तो तू अकेला चल, ना तेरे कोई साथ है !
ये वक़्त -वक़्त की बात है…..!!2!!
सफल होने के बाद फिर….
वक़्त भी….आवाज भी…
बात भी….जज्बात भी…
समाज भी….रिवाज भी…
ये मौसम- ऐ-मिजाज भी…
अपने भी पराये भी, और ज़िन्दगी के साये भी….
ये सब तेरे साथ है !!2!!
अभी तो तू अकेला चल…. !!
अभी तो बस! तू चलता चल……!!
?