चलकर देखो साथ प्रिये
-है संकोची मेरा मन ,
( My heart hesitates)
तुमसे कुछ ना कह पाये,
प्रिय समझो तुम व्याकुलता,
दृग प्यासे ना रह जाएं।
अधरों पर मुस्कान रखे ,
प्रिय बस इतना ही कह दो,
मैं और तुम अब अलग नहीं ,
हृदय समर्पण अब कर दो।
मधुरस श्वांसों में भरकर ,
आ जाओ अब पास प्रिये,
अक्षय अनुराग तुम्हारा पाऊँ ,
दो मुझको अधिकार प्रिये।
तुम जीवन के गीत सुनाओ,
मैं मंत्रमुग्ध सी सुनती जाऊं,
तोड़ सकूँ मैं सारे बंधन ,
इतना मुझको दो प्यार प्रिये।
पुलक हृदय में छा जाती है ,
जब तुम सम्मुख आते हो,
प्रेम हो गया मुझको तुमसे ,
आज हुआ है भान प्रिये।
तुम बादल हो मैं हूँ बरखा,
हमको संग संग रहना है
क्या संशय जो देर हो करते ,
डालो अब जयमाल प्रिये।
जीवन की आपाधापी में ,
ख़ुशी बिछड़ गयी दूर कहीं,
चलो ढूंढने चलते हैं ,
ले लो तुम अवकाश प्रिये।
क्या आशय इस जीवन का,
दो पल संग न रह पाए,
मधुर बनेगा हर पल हर छिन,
चलकर देखो साथ प्रिये।
वर्षा श्रीवास्तव”अनीद्या”