चरित्र
चरित्र (पंचचामर छंद )
पवित्र भाव शिष्टता सदैव सुष्ठ चाल है।
चले मनुष्य सत्य राह दिव्य कृत्य ढ़ाल है।
क्रिया कलाप नित्य रम्य मोहनीय अर्चना।
सदैव मूल्यवान वृत्ति स्नेह सृष्टि वंदना।
सुलेखनीय माधवी विचार शुद्ध नम्रता।
दिखे सदैव चाँदनी समान गौर वर्णता।
विशिष्टता दिखे सदैव नीति शुभ्र दृश्य है।
सप्रेम वर्णनीय दृष्टि भाव पृष्ठ स्पृश्य है।
अहैतुकी कृपा प्रसाद से बना चरित्र है।
चरित्र दिव्य प्रार्थनीय साधु वास इत्र है।
चरित्र रक्षणीय है इसे सदा सँवारना।
यही विशेष पीत रंग विष्णु रूप मानना।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।