चरित्रहीन
चरित्रहीन
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सफेदपोश चरित्रहीनो से ,
दुनिया पटी पड़ी है भाई।
दौलत- चादर से ढककर,
कहलाते सबसे महान हैं।
गरीब की इज्जत खरीदते,
चरित्रवान फिरभी कहलाते।
ऐसे चरित्रहीन प्राणी से तो ,
पशु को भी उत्तम कहना ।
जिस नारी ने जन्म दिया और
जिस नारी ने बाँधी है राखी ।
जो नारी बेटी रूप में जन्मी,
उसका ही मोल लगाते सौदाई।
चरित्रहीन इनको ही है कहते ,
जग के असली भार यही है ।
मानव होकर मानव को सताते,
ईश्वर से भी न घबराते है पापी ।
इनको ही चरित्रहीन कहते है,
पतित नहीं कोई इनसा भारी।
देवदासी से ले बारबाला तक ,
नारी को बनाया साधन ऐश का।
इनको ही चरित्रहीन कहते हैं
परनारी का सम्मान न जिनमें।
व्यक्ति वस्तु में अन्तर न जाने ,
विवश विवशता को खरीदते ।
इनको ही चरित्रहीन कहते हैं,
ये ही असली चरित्रहीन हैं भाई ।।
डॉ.सरला सिंह
दिल्ली