चरखा दिए चलाय
जब गाँधी जी व्यस्त थे, चरखा दिए चलाय
बैठक में दो काज यूँ, बापू लिए कराय
बापू लिए कराय, समय ना व्यर्थ गंवाओ
एक समय में आप, अनेक काम कर जाओ
महावीर कविराय, चली थी तब आँधी जी
खादी की पहचान, बने थे जब गाँधी जी
•••
जब गाँधी जी व्यस्त थे, चरखा दिए चलाय
बैठक में दो काज यूँ, बापू लिए कराय
बापू लिए कराय, समय ना व्यर्थ गंवाओ
एक समय में आप, अनेक काम कर जाओ
महावीर कविराय, चली थी तब आँधी जी
खादी की पहचान, बने थे जब गाँधी जी
•••