चयन
कर्मनीति है जीवन नीति, जो प्रेम और समर्पण सिखाती है। राजनीति है सत्ता नीति , जो घृणा और घर्षण बढ़ाती है।
प्रेम का एक पल भी, जीवन में अमृत मिठास घोलता है।
सत्ता की लालच में मनुष्य, जीवनभर विछिप्त डोलता है।।
समर्पित भाव का मानव, सदा उत्कर्ष पाता है।
घृणा घर्षण में पड़कर वो, सदा संघर्ष पाता है।।
चयन करने का तो अधिकार, ईश्वर ने दिया तुमको।
चुना सत्कर्म यदि तुमने, यही सद्ज्ञान है तुमको।।