चयन
ऐसा क्यों होता है
जब राम आते हैं
रावण भी पैदा हो जाते हैं
जब कृष्ण आते हैं
कंस भी होते ही हैं
जब यीशु का अवतरण होता है
सूली पर लटकाने वाले अवश्य होते हैं
जब गुरु गोविंद सिंह जैसे मसीहा आते हैं
तो कोई ओंरंगजेब कुफ्र मचाते हैं
मंदिर तो अल्लाह का ही घर है
उसे तोड़ उस पर अपना नाम
खुदवाते हैं
शायद वह खुद भगवान बन
जाते है
कैसे कैसे स्फुरण देते हो
कैसी लीला है ईश्वर तेरी?
वह चयन का अधिकार भी
भूल जाते हैं।