चयन
प्रकृति जीवन में कभी-कभी ऊर्जा के दो रूपो को हमारे जीवन रूपी थाली में एक साथ परोस देती हैं, अपितु वह यह जानती है कि आपके पास रखने के लिए केवल एक ही रिक्त स्थान है।
.दोनों ही ऊर्जा स्रोतो मैं असीम ऊर्जा का भंडार होता है और वह आपकी ऊर्जा आपूर्ति को पुर्ण करने में सक्षम है, और अगर आप उन्हें देखे तो बाह्य रूप में विभेद करना सक्षम न हो शायद..
.. परन्तु फिर भी उनमे आकाश पाताल का अन्तर है… और वह अन्तर है समय का।
एक स्रोत भले ही दक्ष प्रतीत हो परन्तु कुछ समय पश्चात नष्ट हो जाएगा, जबकि दूसरे स्रोत को देख आप उसे कमजोर समझने की भूल कर सकते हैं जबकि वह शांतिपूर्ण रहकर जीवन पर्यन्त आपकी ऊर्जा आपूर्ति को पुर्ण करने की क्षमता रखता है ।
आप किसे स्वीकारते हो… यह पूर्ण रूप से निर्भर करता है आपके… “चयन”…पर।
अब मन में कई प्रकार के प्रश्न उठ खडे होगें कि आखिर हम चयन करेंगे कैसे?
और प्रकृति ने आखिर हमे इस दुविधापूर्ण परिस्थिति में हमें डाला क्यों?
इनका उत्तर हर व्यक्ति के लिए उनकी परिस्थिति ओर सोचने की क्षमता के हिसाब से अलग अलग हो सकता है।
मेंरे अनुसार पहला उत्तर –हम चयन कर सकते हैं अपने अब तक के जीवन में हुए अनुभवो के अनुसार।
दूसरा उत्तर- प्रकृति के ऐसा करने का कारण हमे जीवन में सही “चयन” करने का तरीका सीखना है, जिसकी मदद से हम अपने भावी जीवन को सहजता से जी पाए।
क्या आप मेंरे ऊत्तरों से सहमत हैं, कृप्या अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत कराए,एवं मार्गदर्शन करें व अपने अनुभव साझा करे।
धन्यवाद।