!! चमन का सिपाही !!
कब तक रहेगी आज़ादी ये क़ायम
जहां का सिपाही वतन बेचता हो !
“फर्ज़”है, जिनका चमन को बचाना
सिंचना चमन को,चमन को सज़ाना
चमन के ख़ुशी को चमन रौंदता हो
चमन का सिपाही, चमन बेचता हो
कब तक…………………………..
धरा की धरोहर, फ़रिश्तो को प्यारी
हैं,भारत की भूमि जहां से भी न्यारी
बहू, बेटियों की शरम बेचता हो
धरम का सिपाही,भरम बेचता हो
कब तक………………………….
शत् शत् नमन उन शहीदों को मेरा
है, सिंचा लहू से,जिन्होंने वतन को
होते सितम को, कलम देखता हो
कलम का सिपाही,कलम बेचता हो
कब तक……………………………
•••• कलमकार ••••
चुन्नू लाल गुप्ता-मऊ (उ.प्र.)