*** चमत्कार ***
– लघुकथा-
*** चमत्कार ***
गुड़ीपडवा की भक्तिमय दश॔न यात्रा करने हेतू सावंगा विठोबा गांव में ट्रैवल बस से पहूंचा। उसी यात्रा में मेरी माँ तथा रिश्तेदार साथ में आ रहें थें। मैं उनके पहले सावंगा गांव पहूंच गया। मोबाइल पर बात-चीत हो गई, मुझे यात्रा में ईश्वर-पूनाजी मंदिर के पास रूकने को कहाॅ । माँ की बस आने में देर थी , इस कारण मैंने कृष्ण अवधूत के दश॔न लेना उचित समझा। दश॔न के उपरांत मुझे जहाँ मिलना था उस जगह पहूंचा, लेकिन भाविक लोगों की भिड़ व भजन मंडली की भजनों का आवाज़ ही आवाज़ चारों दिशाओं में गुंज रहा था। संपूर्ण वातावरण भक्तिमय था। वहां मोबाइल नेटवर्क नहीं मिलने से मोबाइल काय॔ करना बंद हो गया। इस कारण हमारा संपक॔ नहीं हो सका और मैं घबरा गया और मेरी माँ भी और रिश्तेदार जहाँ-वहां तलाश करने लगे थें। मैं दो साल से माँ से नहीं मिला था । मेरी माँ
मुझे मिलने हेतु बहोत व्याकुल थी । मेरा बेटा, मेरा बेटा कहती हुये मेले में तलाश कर रही थी। मैं भी मेले में हर जगह तलाश कर रहा था । मुझे भी माँ के अंतरआत्मा पर व भगवान पर पूण॔ विश्वास था। मुझे किसी भी परिस्थिति में मेले में माँ व रिश्तेदार को मिला देगा। मेरी माँ ने और रिश्तेदारों ने राजू मिलना चाहिए कहते हुये गुड़ी पडवा झेडें को कपूर जलाकर मिलने हेतु भगवान से प्रार्थना की । बहोत देर होने के बाद मैं भी मेला से लगें खेत में पेशाब करने गया , और चमत्कार हो गया, उसी खेत की और तीन महिलाऐं भी पेशाब करने जा रही थी। मुझे लगा यह खेत में तो जहाँ- वहां पुरूष है , मुझे रहा नहीं गया, उसी और मैं उन्हें बोलने लगा ….. आप इस ओर मत जाईऐ, यहाँ पुरूष ही हैं , आप इस दिशा में जाना। उस में से एक महिला मुझसे बात करने लगी …. हाँ ठीक है …
और मेरी और मुड़कर देखा मैंने तुरंत पहचान लिया और खुश होकर बोलने लगा … मैं … मैं …
राजू हूँ … ।
मेरी माँ मुझे देखकर बहुत-बहुत भावुक हो गई । लेकिन मुझे देखकर तुरंत भगवान को धन्यवाद देने लगी। मुझे भी अहसास हो गया जो भक्त सच्चे मन से भगवान को पुकारता है, उसे भगवान बराबर चमत्कारिक रूप से अपना अहसास करा देता हैं । वह सच्चे भक्त का काय॔ बराबर करता है। मेरा गुड़ी पडवा नव वर्ष माँ से मिलने से बहुत – बहुत सुखद हो गया।
@कापीराइट
राजू गजभिये
लेखक एवं परामर्शदाता
दश॔ना मार्गदर्शन केन्द्र बदनावर
जिला धार मध्यप्रदेश