चमत्कार को नमस्कार!
चमत्कार को नमस्कार है। यही जमाने का आधार है। बन गया है, यही मानव का व्यवहार है। सीधे साधे को दुनिया क्या पहचाने।वह दुष्ट और दुराचारी ,को ही सन्माने।कीमत नही बची उसकी,जो सत्य को राखै।निश दिन करे लवारी, असत्य को भाषै। दुनिया की रीत सदा चली आई। पूजा वहीं जाता है,जिसकी तीन लोक में छाई।दो इधर की,दो उधर की जिसके दिल में समाई।लोग करते हैं उसी से जा कर सगाई। इंसान होकर इंसान की पहचान नही रखता है। फिर क्या करी पढ़ाई,जो हर पग पर गोता खाता है।