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22 Apr 2024 · 2 min read

चमत्कारी नेताजी।

घर से बाहर निकला गाड़ी में पेट्रोल डलवाया , भुगतान किया।
ग्रोसरी स्टोर गया कुछ सामान लिया भुगतान किया।
डेटा रिचार्ज करवाया भुगतान किया।
सब्जी , फल लिए भुगतान किया।
एक रेस्टोरेंट में चाय नाश्ता किया भुगतान किया।

वापस लौट रहा था तो देखा एक नेताजी एसयूवी की छत पर चढ़ कर भाषण दे रहे थे – तुम ये करते हो तो पैसा उसकी जेब में चला जाता है , तुम वो करते हो तो पैसा उसकी जेब में चला जाता है। कभी सोचा मेहनत करके कमाया गया तुम्हारा पैसा किस किस की जेब में चला जाता है। मुझे प्रधानमंत्री बनाइए उन लोगों की जेब से निकाल कर सारा पैसा वापस आपको दे दूंगा।

मुझे भाषण बहुत क्रांतिकारी लगा। अभी अभी मैं तमाम जगहों से लुट कर आया था। मुझपर भाषण ने तत्काल असर किया। मैं नेता जी को स्नेह भरी दृष्टि से देखने लगा।

गाड़ी खड़ी की और नेताजी के फाइव स्टार तंबू में उनसे मिलने गया। उन्हे देखा तो जोरदार नमस्कार किया और बताया कि मैं उनके चमत्कारिक भाषण से कितना प्रभावित हुआ हूं। वे प्रसन्न हुए और कहा कि कोई समस्या हो तो बताओ। मैने अपने लुटने की कहानी उन्हे बताई।

थोड़ी देर वे चिंता में रहे फिर बोले – अपना वॉलेट मुझे दो।
मैं – वॉलेट क्यों ?
नेताजी – दो तो बताता हूं।

मैंने अपना वॉलेट निकाला और उन्हें दे दिया। उन्होंने वॉलेट खोला तो उसमें पांच सौ रुपए के कई नोट पड़े थे। उसे देखकर उनकी आंखों में हिंसक चमक आ गई। वे मुझसे मुखातिब हुए और बोलना शुरू किया – इतना लुटने के बाद भी तुम्हारा वॉलेट पांच सौ के नोट से भरा है , अच्छी घड़ी पहने हो , अच्छा कपड़ा पहने हो , इसका तो यही मतलब है कि तुम खुद एक लुटेरे हो।

मैं हकलाते हुए – मैं लुटेरा , मैंने यह सब कड़ी मेहनत से …….।
नेताजी – चुप कर , मेहनत से आदमी दो वक्त की रोटी कमा सकता है , गाड़ी और इतना रुपया नहीं। विनोद इनको इनकी गाड़ी के साथ जाने दो , गाड़ी का सारा सामान तथा वॉलेट का सारा रुपया अपने गरीब कार्यकर्ताओं में वितरित कर दो। धन के समान वितरण का शुभारंभ आज से ही किया जाता है।

मैं हकबकाया सा , पछताया सा खड़ा रह गया।
Kumar Kalhans

Language: Hindi
50 Views
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