*चमचों ने सपने पाले (हास्य गीत)*
चमचों ने सपने पाले (हास्य गीत)
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नेता जी बीमार पड़े , चमचों ने सपने पाले
( 1 )
अभी-अभी यह खबर मिली नेताजी को बीमारी
बीमारी घातक है ऊपर जाने की तैयारी
चमचों ने तय किया लेख श्रद्धाँजलि के छापेंगे
अखबारों को कई शोक – संदेशों से नापेंगे
रोनी सूरत के अनेक ने फोटो खिंचवा डाले
( 2 )
सबसे बड़ा प्रश्न था कौन विरासत को पाएगा
नेता जी के बाद टिकट किस के हत्थे आएगा
जब तक सूरज – चाँद रहेगा नारे चलो लगाएँ
सोच रहे चमचे इससे कुर्सी शायद पा जाएँ
सबके मन में थे जुगाड़ , कुछ नीले पीले काले
( 3 )
तभी खबर आई नेता जी खतरे से बाहर हैं
पता चला फिर अस्पताल से आकर अपने घर हैं
धरी रह गई शोकसभा-श्रद्धाँजलि की तैयारी
रिक्त सीट पर टिकट-प्राप्ति की अभिलाषा हर हारी
हाल-चाल चल दिए पूछने बन कर भोले- भाले
नेता जी बीमार पड़े ,चमचों ने सपने पाले
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451