चमकत चेहरा लजाई
✍️ निर्गुण भजन ✍️
शीर्षक :
“चमकत चेहरा लजाई”
बीतल बचपन जाई जवानी
बाद बुढ़ापा आई, ए भाई हो
चमकत चेहरा लजाई, ए भाई
चमकत……………….।।१।।
करब खइब ओढ़ब पहिरब
अउरी मकान बनइब, ए भाई
कइके कमाई घोड़ा – गाड़ी
से घर तूंहूं सजइब, ए भाई
आजु के नवका चढ़ल रंगवा
सब धुमिल होइ जाई, ए भाई हो
चमकत………………..।।२।।
माई-बाप, बेटा-बेटी
बाटे जग से नाता, ए भाई
स्वारथ में दुनियां वीराना
जपि ल नाम विधाता, ए भाई
ए आतम के ठांव बनाल
अग्नि-काल लेइ खाई, ए भाई हो
चमकत चेहरा…………..।।३।।
एक – एक चीज के लिखल उमिरिया
हर दिन घटल जाला, ए भाई
जान बेजान सबही करम के
उहवां हिसाब लियाला, ए भाई
“रागी” राधेश्याम के निर्गुण
अगम राह दिखलाई, ए भाई हो
चमकत चेहरा…………।।४।।
🙏 कवि 🙏
राधेश्याम “रागी” जी
कुशीनगर उत्तर प्रदेश
सम्पर्क केंद्र : ९४५०९८४९४१