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7 Sep 2021 · 1 min read

चांदनी

काग़ज़ की कश्ती, पानी में बहती जाती है
हर मन की मस्ती, फूलों की बस्ती आती है

तुम होते ख्यालों में ये फूल सुंदर लगते हैं
तुम बिन फूलों की महक, क्यूँ मुरझा जाती है

ये धूप रौशन, चमकती चांदनी तुम ही तो हो
महकी बगियाँ हवा भी मुस्कुराने लगती है
शीला गहलावत सीरत
चण्डीगढ़, हरियाणा

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 697 Views
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