च़न्द श़ेर
इज्जत वो श़फ्फ़ाक चादर है जिसमें लगे हुए दाग़ ताउम़्र नहीं मिटते।
अपनी खुदगर्ज़ी में इतना ना गिर जाओ कि खुद से श़र्मिंदा हो जाओ ।
मोहब्ब़त एक इब़ादत है इसे ऱूह से म़हसूस करो। म़हबूब को दिल में बसा कर रखो इज़हार ए आम़ न करो।
इस तीऱगी ए श़ब में उनके चेहरे का ऩूर इस क़दर है के चाँँद भी फीका लगता है।