चन्द मुक्तक
चन्द मुक्तक
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1-
भाषा बलशाली होती उनकी, जो होते धनवान यहाँ
हैं सुनते कब कंगालों की अब, आकर वे भगवान यहाँ
सुन-सुन ऊंचे महलों की बोली, छप्पर डर कर मौन हुआ
है ऊपर से ताना भी उनका, अब मुश्किल में जान यहाँ
2-
जिसे भगवान कहते थे बड़ी पहचान रखता है
दिखे है फूल के जैसा जिगर मेँ श्वान रखता है
तुझे गुमराह जिसने कर दिया विश्वास मेँ लेकर
कि कैसे कह दिया तुमने सभी का ध्यान रखता है
3-
हमारे साथ ही सुन लो तुम्हारा ग़म भी जायेगा
तेरे ग़म के वजह से एक दिन ये दम भी जायेगा
जिगर मेँ आग जो फैली यही मुझको जलाएगी
बड़े चर्चित हुए हैँ हम कि ये मौसम भी जायेगा
4-
ढोल तो ताल से हट गया देख लो
तार भी साज का कट गया देख लो
बेसुरा दम्भ से हूँ भरा आदमी
कह रहे हैँ सभी फट गया देख लो
– आकाश महेशपुरी