चन्द एहसासात
बादलों के रुख से सैलाब का अंदेशा होता है ,
हवाओं के रुख से तूफान का संदेशा होता है ,
परिंदों की ग़ुमसुम़ चुप्पी आने वाले क़हर का पयाम होता है ,
गर्दे सफ़र के हमराही का मंज़िल पर क़याम होता है ,
सोज़े एहसास ज़ेरे लब आते आवाज़ बन उभरते हैं,
लर्ज़िशे लब के इज़हारे अन्दाज़ श़ेर बन जाते हैं ,
ज़ेहन में छाए यादों के अब्र यादगार बन जाते हैं ,
दिल में पैवस्त अहद दर्द -ए- पिन्हाँ बन जाते हैं ,