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17 Jan 2020 · 1 min read

चन्द अल्फ़ाज़

हमें जिन से ऱहम की उम्मीद थी उन्हीं ने सरे म़हफिल हमारी बेचाऱगी का मज़ाक बना डाला।

उन दग़ाबाज दोस्तों से दुश्मन बेहतर है जो श़िद्दत से अपनी दुश्मनी तो निभाते हैं ।

जिनको समझा था घूरे के कीड़े इस जमाने ने अब तक । वक्त बदलते वे तो नाय़ाब हीरे निकले।

यह ज़िंदगी भी बड़ी गज़ब है । यहां दोस्त अपनी-अपनी मंज़िल पर जुदा हो जाते हैं और जो अब तक अजनबी थे हमसफ़र बनकर दोस्त बन जाते हैं।

Language: Hindi
3 Likes · 9 Comments · 412 Views
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