चतुर
चित चपला चंचल चतुर,पकड़ न पाऊँ डोर।
मैं खींचूँ इस ओर तो, वो भागे उस ओर।। १
खुदगरजी की आड़ में, चतुर हुए हैं लोग।
रखते रिश्ते झूठ के, केवल करते ढ़ोंग।। २
वाणी कोयल की तरह,अंतस विषधर नाग ।
नस-नस चतुराई भरा ,जैसे काला काग।। ३
देखी है हर दौर में, एक अनोखी बात।
चतुर हमेशा जीतता,सीधा पाता मात।। ४
कागा नकली पर पहन, चले हंस की चाल।
दुष्ट अहंकारी चतुर ,है कलयुग का लाल।। ५
कलयुग में ज्ञानी वही, जो है चतुर चालाक।
दुष्ट घमंडी लोग का, सभी जगह पर धाक।। ६
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली