चक्षु सजल दृगंब से अंतः स्थल के घाव से
चक्षु सजल दृगंब से अंतः स्थल के घाव से
समय की प्रारब्धता बिकी सपनों के भाव से
विश्वास की सरिता भरी कटुता के धार से
कुटिलता का विष मिला दिखावटी व्यवहार से
चंकी पाण्डेय सेवटा
चक्षु सजल दृगंब से अंतः स्थल के घाव से
समय की प्रारब्धता बिकी सपनों के भाव से
विश्वास की सरिता भरी कटुता के धार से
कुटिलता का विष मिला दिखावटी व्यवहार से
चंकी पाण्डेय सेवटा