चक्रब्यूह
मन में कहीं भी कोई संशय क्यों हो
जब दाव पर लगी है कुल की लाज
विजय मिले रण में या मिले पराजय
लड़ने से अब वह नहीं आएगा बाज
समय कहाँ है अब हाथ में कुछ भी
इन बातों पर कुछ करने को मंथन
अगर चूक हुई तो धिक्कार मिलेगा
और सत्य होगा शत्रुओं का कथन
कौरवों को विजय तिलक लगाने काे
चक्र ब्यूह की रचना है अन्तिम चाल
प्रतीक्षा पिता का ताे कर नहीं सकता
पुत्र अभिमन्यु ही अब बनेगा काल
किये बिना किसी परिणाम की चिन्ता
बढ़ा सूर्य की उष्मा और तेज के संग
मन ही मन ताे अब वह ठान लिया है
जैसे भी हो चक्रब्यूह को कर देगा भंग
द्रोणाचार्य ने चक्रब्यूह की रणनीति से
लगाया है कौरव सैनिकों का बड़ा मेला
बिना कुछ सोचे और बिना कुछ समझे
यह धुरंधर वीर रण में चल पड़ा अकेला
प्रखर ताप संग सूरज आज निरंतर
जैसे जैसे आगे की ओर चढ़ता रहा
अभिमन्यु भी चक्रब्यूह को भेदते हुए
निरंतर ही आगे की ओर बढ़ता रहा
किया चक्रब्यूह की फिर से किलेबंदी
दूर कहीं से भयग्रस्त जयद्रथ आकर
काैरवाें की सेना में छा गई थी खुशी
बालक अभिमन्यु को अकेले पाकर
अपनी ही लय में वीर अभिमन्यु
रण क्षेत्र में अकेला ही लड़ता रहा
अपने अकेले बाहु बल के दम पर
बिजली गति से आगे ही बढ़ता रहा
अभिमन्यु के आगे नहीं चल रही थी
कौरव सेनिकाें की कोई भी चाल
अकेला वीर बालक ही बन गया था
कौरव सेना के लिये अब महाकाल
अभिमन्यु के तेज के आगे ताे जैसे
सब रणनीति ही हो गई थी असफल
किसी काम का न अब रह गया था
काैरव सेना का विशाल संख्या बल
कहीं ऐसा न हो यह वीर अकेला ही
एक एक को चुन चुन कर मारेगा
पाण्डवों के विजय पताका काे फहरा
अब अपने खेमें में वापस जाएगा
वीर अभिमन्यु को बड़ा खतरा मान
प्रारंभ किया उन पर निरंतर वार
कौरवों की सेना करने लगी थी अब
चारों ओर से ही उनको लाचार
टूट गया उनका रथ संग अस्त्र शस्त्र
शायद अब वह आगे बढ़ न सकेगा
और चक्रब्यूह के अन्तिम द्वार को
चाह कर भी वह अब भेद न सकेगा
थका हुआ निहत्था वीर अभिमन्यु
एक जगह पर अब ठहर गया था
कौरवाें की सेना को तो मानो जैसे
एक स्वर्णिम अवसर मिल गया था
चारों ओर से एक वीर निहत्थे पर
सब कायरों ने मिल अस्त्र तान लिया
और तड़पा तड़पा कर भूमि पर ही
अकेला घायल वीर का प्राण लिया
इस वीर की अकाल मृत्यु से ताे
आज पूरा कुरुक्षेत्र भी रो पड़ा
शायद ही अब कोई योद्धा होगा
इस रणभूमि में अभिमन्यु से बड़ा
बर्बरीक भी पूरे संशय में है आज
अभिमन्यु की निर्मम हत्या काे देख
महाभारत युद्ध के निर्णय में होगा
इस कायरता भरी सत्य का उल्लेख
अल्प समय में ही इस पृथ्वी पर
स्वर्णिम अक्षर में अपना नाम किया
महावीराें की गाथाओं में स्वयं काे
जोड़ वह अमरता का काम किया