चक्रधारी श्रीकृष्ण
मेरे गिरधर मेरे नन्दलाल,
मेरे गोपाल लगते हो।
मेरे हमदम मेरे हमराज,
मेरे तुम कौन लगते हो ।।
कभी बाके कभी कान्हा,
कभी रणछोर लगते हो।
कभी तनमे कभी मनमे,
कभी जीवन ही लगते हो ।।
मुझे कृष्ण मुझे विष्णु,
मुझे तुम नारायण लगते हो।
मुझे मुस्कान मुझे पहचान,
मुझे स्वाभिमान लगते हो ।।
तेरी कृष्णा तेरी राधा,
तेरी तो मीरा लगती है।
तेरी कृपा तेरी दृष्टी,
तेरी तो माया लगती है ।।
मेरे गोविंद मेरे योगी,
मेरे तुम दामोदर लगते हो।
मेरी ताकत मेरी हिम्मत,
मेरी तुम जीत लगते हो।।
कभी केशव कभी वासुदेव,
कभी देवकीनन्दन लगते हो।
कभी शक्ति कभी भक्ति,
कभी मेरी लाज रखते हो ।।
कभी चितचोर कभी हरि बोल,
कभी माखनचोर लगते हो।
मुझे मेरे मुझे सबके,
मुझे जगके पालक लगते हो ।।
तेरा उद्धव तेरा अर्जुन,
तेरा हरिदास लगता है।
तेरा आशीष रहे सरपे,
मेरा बस ख्वाब रहता है ।
ललकार भारद्वाज