*चंद माहिया* (पंजाबी विधा)
1
राह निहारे नैनन
तुम कब आओगे
सूना है घर आंगन
2
यूं लहरा के आंचल
सौंधी मुस्काके
तू न कर मुझे पागल
3
तुम भी हद करते हो
गैर के चांद पे
आखिर क्यों मरते हो
4
सबके दिल में गम हैं
पत्थर कोई नहीं
सबकी आंखें नम हैं
5
इक राज़ बताना है
कई ज़माने से
ये दिल दीवाना है
✍️ दुष्यंत कुमार पटेल