चंद तहरीरो पर ज़ा या कर दूं किरदार वो नही मेरा
चंद तहरीरो पर ज़ा या कर दूं किरदार वो नही मेरा
मैं वो इबारत हूं जिसे दिलो पे उभरने का हुनर आता
और चंद ख्वाहिसो को समेट ले ऐ दिल.. ये जिंदा लाशों की बस्ती .. है लुफ्त ही उठाएंगे.
.और चिंदी सा कलुषित सोच लिए ,,
कान्हा किसी की महिमा गायेंगे