चंद एहसास
चंद एहसास
1.
मैं कब कवि और शायर हो गया , इसका मुझे एहसास ही न हुआ
मेरे दोस्तों , तुम्हारी ज़र्रा नवाज़ी का शुक्रिया
2.
खिदमत उस खुदा की , और उसके बन्दों की
इसी मकसद को लिए , जी रहा हूँ मैं
3.
दामन में सबके खुशियाँ , मेरे अल्ला हज़ार देना
बेज़ार जी रहे हैं जो , उन्हें खुशियाँ हज़ार देना
4.
मुसाफिर चला है खोज में , अपनी मंजिल
खुदा उसका रहबर हो , ये आरज़ू है मेरी