चंद अल्फाज़
अपने दिल की सुनो
ओ तुझसे भी कुछ कहता है.
कठिन राहों में भी तुझको
आगे बढ़ने को कहता है.
शायर- किशन कारीगर
(©कॉपीराइट)
धूप खिली जब वो ना मिली
दिल को एक पल एसा लगा?
की काश मिल जाती उसकी परछाई?
धूप-छावं सी उमड़-घुमड़ वो जो मुस्कुराई .
शायर -किशन कारीगर
( ©कॉपीराईट अधिनियम के तहत)
ख़फा रहना चाहा भी तो कभी,
तेरी अदा से ख़फा न हो सके
कितना भी तू कहले हरजाई “किशन” को
हमसफ़र हूँ, बनके रहूं तेरी परछाई.
शायर- किशन कारीगर
(©कॉपीराईट अधिनियम के तहत)
सियासी रस्साकशी में, हाई रे सियासतदान?
सूखे से बदहाल, कितने पियासे पीस गया?
बेबस जान गई कितनो की, तुझे क्या?
तू सरकारी मुआवज़े के झूठे एलान में रहा?
शायर- किशन कारीगर
(कॉपीराइट@)