चंद्र ग्रहण
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आज चाँदनी रो रही, चाँद हुआ है ग्रास।
गहन अँधेरा हो गया, व्याकुल गगन उदास।।१।
मनोदशा सबसे गहन, चंद्र ग्रहण की रात।
आज सखी किससे कहूँ, अपनी मन की बात।।२।
चंदा मामा हो गये, गुस्से से अति लाल।
राहु-केतु फिर आ गये, बन कर उनका काल।। ३।
? ? ? ? ? – लक्ष्मी सिंह ?