चंद्रलोक का हाल (बाल कविता)
चंद्रलोक का हाल (बाल कविता)
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चंदा नहीं हमारे लगते
कोई मामा-चाचा ,
कई बार हम गए वहाँ पर
देखा-परखा-जाँचा ।
ऊबड़-खाबड़-सी जमीन है
न ही कोई रहता,
जिसने देखा इसे दूर से
सुंदर वह ही कहता ।
अपनी धरती देखो
सुंदर पक्षी गाना गाते,
मगर चाँद पर कोई चिड़िया
कौवा नजर न आते।
नहीं चाँद पर हुआ मयस्सर
शिमला-नैनीताल,
बुरे फँसे मत पूछो जाकर
चंद्रलोक का हाल।।
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रचयिता ः रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा,
रामपुर( उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 7615451