चंद्रमा से सीख
सितारों भरी घनी श्यामल
एकांत रात को ऊंचे गगन में
सुंदर,शालीन, शांति दूत सा
मखमली चाँदी सी चाँदनी बखेरती
प्रकृति की दुर्लभ अनमोल संरचना
पूर्णिमा का पूर्ण गोल गोल बेजोड़
चमकता चन्द्रमा बन कर प्रेरणा
देता है जीवन में एक अनमोल सीख
चमकते रहो जीवन में उसकी तरह
होकर शांत,शीत,भूल कर अतीत
बिना किए कोई परवाह, बन कर
बेपरवाह, ठीक उसकी भांति सटीक
उपलब्ध परिस्थितियों में होते हुए
समायोजित और स्थिर स्तंभ सा
प्रदान करता रात्रि प्रकाशपुंज
और देता हुआ आमजन को संदेश
जिस तरह वह कभी कट कट कर
कटते हुए रह जात मात्र आस्तित्व में
तनिक और तुच्छ सा,पर फिर भी
बेफिक्र हो मंद मंद मुस्कराते हुए
मद्धिम दुधिया रोशनी में रहता
चमकता है सदैव बन अटल
और फिर समेकित करते ऊर्जा
बन कर ऊर्जावान ,धीरे धीरे
बढते बढते बढता हुआ बढ जाता है
और विस्थापित होते हुए पुनः
प्राप्त करता वही काया और आकार
और फिर कठिन राह पर चलते हुए
प्रदान करता है पूर्ण प्रकाश
बन कर पूर्णिमा पूनम का पूर्ण चाँद
सुखविंद्र सिंह मनसीरत