चंदू
चंदू… मैंने कल एक सपना देखा
सपने में तुमको मैंने अपना देखा
सपने में जाने तुम क्यूं नांच रहे थे
चे – भगत संग कुछ तो बांच रहे थे
चंदू मैंने तुमको जेन्यू के आंगन में देखा
पूंजीवाद पे हंसते देखा
मार्क्सवाद को गुनते देखा
चंदू… तुमको कल मैंने सपने में देखा
मित्रों संग छात्रसंघ के पर्चे बांट रहे थे
जाने किस को किन बातों पे डांट रहे थे।
चंदू मैंने देखा लौट रहे हो तुम अपने घर आंगन
दवी हुई आवाजों को दे रहे हो अपना तन मन
चंदू मैंने देखा कि तुम चमक रहे हो
नई आभा में कुछ तुम दमक रहे हो
चंदू मैंने देखा दुखियों को तुम ढाप रहे थे
भ्रष्टाचार के मुद्दों पे दुष्टों को नाप रहे थे
चंदू… सपने में मैंने तुमको सपने में देखा
भगत के सपने के भारत का सपना देखते देखा
उठ कर फिर उस सपने को सच करने की कोशिश करते देखा
चंदू मैंने देखा जेपी चौक पे तुम आये हो
संग साथी श्यामनरायन को लाए हो
नुक्कड़ सभा में तुम जोरों से गुर्राए हो
शासन को चहुं ओर से घेर रहे हो
अलग अलग मुद्दों पे मड़ोड रहे हो।
चंदू … मैंने कल एक सपना देखा
सपने में एक पिस्टल को देखा
पिस्टल से आग भी निकलते देखा
चंदू … चंदू सपने में मैंने तुम को मरते देखा
जनता को दिल्ली की सड़कों पे उमड़ते देखा
चंदू … चंदू सपने में मैंने चे – भगत और तुम को देखा
~ सिद्धार्थ